THE 5-SECOND TRICK FOR LYRICS OF SHIV CHALISA

The 5-Second Trick For lyrics of shiv chalisa

The 5-Second Trick For lyrics of shiv chalisa

Blog Article

भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचन्द्र के काज संवारे।।

अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥

shrishivchalisa.com participates while in the Amazon Associates Associates Application, an affiliate advertising system made to provide a means for sites to generate commissions by linking to Amazon.

Consequently everytime you acquire a product on Amazon from a hyperlink on here, we get a little percentage of its price.

अन्त धाम शिवपुर में पावे ॥ कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी ।

नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥

कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भये प्रसन्न दिए इच्छित वर॥

संकट तें हनुमान छुड़ावै। मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।

हे गिरिजा पुत्र भगवान श्री गणेश आपकी जय हो। आप मंगलकारी हैं, विद्वता के दाता हैं, अयोध्यादास की प्रार्थना है प्रभु कि आप ऐसा वरदान दें जिससे सारे भय समाप्त हो जांए।

अर्थ: हे प्रभू आपके समान दानी और कोई नहीं है, सेवक आपकी सदा से प्रार्थना करते आए हैं। हे प्रभु आपका भेद सिर्फ आप ही जानते हैं, क्योंकि आप अनादि काल से विद्यमान हैं, आपके बारे में वर्णन नहीं किया जा सकता है, आप अकथ हैं। आपकी महिमा का गान करने में तो वेद भी समर्थ नहीं more info हैं।

शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥

पुत्र होन कर इच्छा जोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥

कर त्रिशूल सोहत छवि भारी । करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥

पाठ करने से पहले गाय के घी का दिया जलाएं और एक कलश में शुद्ध जल भरकर रखें।

Report this page